कैसे संघर्ष से निखरती है प्रतिभा
दोस्तों यह सच्चाई है की प्रतिभा किसी मुकाम पर जाकर रूकती नहीं बल्कि वह उस मुकाम को नई ऊंचाई छूने का मार्ग बनाती है और एक दिन वह होता है कि मंजिल
उसके
कदमो
के
नीचे
होती
है।
प्रतिभा
का
संघर्ष
लगातार
जारी
रहता
है,
जब
तक
कि
उन्हें
अपनी
मंजिल
हासिल
न
हो
जाए।
अब हम आपको अलग - अलग व्यक्तियों की कहानियो के माध्यम से "कैसे संघर्ष से निखरती है प्रतिभा" के बारे में बताने जा रहे है जैसे –
एक वैभव नाम का लड़का था जो तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ा है। वैभव की परिवार आर्थिक की स्थिति ज्यादा अच्छी
नहीं
थी।
वैभव
को
पिता
की
आर्थिक
सहायता
के
लिए
पढ़ाई
के
साथ
- साथ
जॉब
भी
करनी
पड़ी
। वैभव ने जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे एक कंपनी में क्लर्क पद पर नौकरी मिल गई।
यह एक उदाहरण है जिसमें दूसरे इंसानो की वैभव के प्रति राय है कि अगर उसे जीवन में पूरी सुविधाएं और अवसर मिलते तो, वह सिर्फ एक क्लर्क पद ज्वाइन न कर बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर, वकील या फिर प्रशासनिक सेवा में एक बड़े पद पर अधिकारी की नौकरी हासिल सकता था।
लेकिन यह सोच बहुत ही गलत है। किसी भी सफल इंसान के पीछे एक संघर्षपूर्ण कहानी छिपी होती है। दोस्तों हम
जब
भी
किसी
सफल
इंसान
को
देखते
हैं
तो
हमें
उसकी
सफलता
तो
दिखाई
देती
है
लेकिन
उसने
उसे
पाने
के
लिए
कितना
संघर्ष
किया
होगा,
इस
पर
ध्यान
नहीं
देते
है।
यदि वैभव अपने उन हालात से समझौता नहीं करता तो वह क्लर्क के बजाय बेहतर जॉब हासिल
कर
सकता
था,
लेकिन
उसने
खुद
को
संतुष्ट
करके
अपनी
एक
हद
तय
कर
ली।
दोस्तों जावेद अख्तर एक ऐसे व्यक्ति है जो मशहूर गीतकार, फिल्म लेखक, शायर, राज्यसभा सांसद से प्रसीद है। आज
के
समय
में
जावेद
अख्तर
जी
ऐसी
शख्सियत
पर
हैं
जिन्हें
किसी
पहचान
की
जरूरत
नहीं।
जिस
मुकाम
पर
आज
के
समय
में
वे
हैं
उसकी
वजह
है
कड़ा
संघर्ष
।
अपने
जीवन
में
उन्होंने
संघर्ष
का
समना
करते
हुए
अपने
दिन
मुंबई
के
फुटपाथों
पर
भी
बिताए।
बरसात
के
समय
पर
वे
सीमेंट
के
पाइपों
का
सहारा
लेकर
रातें
गुजारा
करते
थे।
इन
अभी
बड़ी
परेशानियों
के
साथ
संघर्ष
कर
अपनी
एक
नई
पहचान
बनाई
और
आज
वे
सभी
की
नजरो
में
इज्जत
बनाए
हुए
है।
सचिन तेंदुलकर, भारतीय टीम और वर्ल्ड के सबसे बड़े बल्लेबाज कहलाते है । सचिन तेंदुलकर के सामने गेंदबाजी करने से दुनिया का हर गेंदबाज खौफ खाता था। सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट के क्षैत्र में बड़ी बुलंदी हासिल की और इसकी वजह है मेहनत और कड़ा संघर्ष। और उसी प्रकार से है वीरेंद्र सहवाग। ये वीरू के नाम से भी जाने जाते है। जब वीरेंद्र सहवाग गेंद पर प्रहार करते हैं तो ऐसा लगता है कि बंदूक से गोली निकली हो।
नजफगढ़ के नवाब कहलाने वाले वीरेंद्र सहवाग को संघर्ष के दिनों में क्रिकेट की प्रैक्टिस के लिए बीस से बाईस किलोमीटर का सफर क्रिकेट किट को अपने साथ लेकर प्रतिदिन करते थे। इसके बावजूद अगर वीरू जी पहले स्थान पर क्रिकेट में नाम कमाकर संतुष्ट हो जाते तो फिर दुनिया को भारत का विस्फोटक सलामी बल्लेबाज देखने को नहीं मिलता।
वीरेंद्र सहवाग जैसे व्यक्ति जीवन में सफलता हासिल करने वाले लोगों ने मुश्किलों के समय में समझौता नहीं किया, बल्कि अपनी काबिलियत से मुश्किलों को भी पीछे छोड़ दिया। एक सफल इंसान का यह बड़ा गुण होता है कि वह मुश्किलो के समय भी खुद पर आत्मविस्वास होता है, जैसे कि उन्हें पता है कि सफलता आगे उनका बेसबरी से इंतज़ार कर रही है।
मध्यवर्गीय परिवार से भी संबंधित ऐसे कई उदाहरण है जैसे धीरूभाई अंबानी। धीरूभाई अंबानी पेट्रोल पंप पर काम करते थे लेकिन मेहनत, लगन और संघर्ष से रिलायंस इंडस्ट्री की स्थापना कर चुके है। आज के समय में धीरूभाई अंबानी के बेटे मुकेश अंबानी का नाम विश्व के अमीरों में लिया जाता है।
भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी है। माही की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम को वर्ल्ड की नंबर वन टीम बनने का मौका मिला। एशिया कप, ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप, बीस सालों के बाद वर्ल्ड कप का ताज भारतीय टीम को पहनाने वाले कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी ही है। इस जांबाज ने रेलवे में खेल कोटे से टीसी की जॉब हासिल की। टीसी की नौकरी को अपने जीवन की मंजिल न मानते हुए माही ने मेहनत और कड़ा संघर्ष किया जिसकी बदौलत वे भारतीय क्रिकेट इतिहास के सफल कप्तानों में से एक माने जाते है।
ये ऊपर दिए गए ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें परेशानियां, परिस्थितियां भी नहीं रोक पाईं और उन्हीने अपने जीवन में सफलता को शिखर
तक छू लिया। इन्होंने अपनी मेहनत,कड़े संघर्ष के दम पर अपनी पहचान बनाई। दोस्तों आकाश के सितारों की तरह ये भी बुलंदियों के शिखर पर जगमगा रहे हैं। इसलिए कहा जाता है कि संघर्ष से निखरती है प्रतिभा।
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