डिग्री नहीं, योग्यता से मिलती है नौकरी
आज के समय में हमारे देश की बड़ी समस्याओं में बढ़ती जनसंख्या, महंगाई, भ्रष्टाचार प्रमुख हैं। अगर भारत में युवाओं के दृष्टिकोण से बात की जाए
तो सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी। बड़ी-बड़ी डिग्रियां होने के बावजूद भी युवा नौकरी के लिए तरस रहे हैं।
प्यारे दोस्तों वे डिग्रीधारी, जो नौकरी न मिलने पर नकारात्मक बातें करते हैं, उनकी सच्चाई यह है कि उनमें नौकरी प्राप्त करने की योग्यता ही नहीं होती। कम नंबरों से जैसे तैसे बड़ी डिग्रियां लेने वाले इन युवाओं का व्यावहारिक ज्ञान का स्तर बहुत निचा होता है। इसीलिए वे परीक्षा के समय पिछड़ जाते हैं। दूसरी ओर लायक़ व्यक्ति अपने ज्ञान के बल पर इन तथाकथित पढ़े लिखे लोगों से आगे निकलने में सफल हो जाते हैं।
ज्यादातर युवाओं की यह शिकायत होती है कि उन्होंने जो डिग्री प्राप्त की है, उसके अनुरूप उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है। डिग्रियों का अंबार लगाने के बाद भी गवर्नमेंट, निजी आदि क्षेत्रों में नौकरियां नहीं हैं। यदि गवर्नमेंट नौकरियों के बारे में युवाओं से पूछा जाए तो कहते हैं कि वहां तो भाई - भतीजा वाद चलता है, रिश्वत लेकर जॉब्स बांटी जाती है, लेकिन सच्चाई यह है कि योग्य इंसान को कोई एक जगह नौकरी देने से मना कर देगा, लेकिन योग्य इंसान लिए मोको की कोई कमी नहीं हैं। इसलिए डिग्री भी फर्स्ट डिवीज़न से प्राप्त करनी चाहिए।
प्यारे दोस्तों अगर नोकरियो की बात निजी क्षेत्रों में की जाए तो कहते हैं वहां पर शोषण अधिक किया जाता है। कंपनी अपनी शर्तों के अनुसार जॉब्स प्रदान करती हैं, लेकिन मैन पॉवर ग्रुप इंडिया की सालाना रिपोर्ट उन सभी जॉबसीकर्स लिए कड़वी सचाई है जो डिग्री के बाद भी जॉब नहीं मिलने की शिकायत या दिल में हसरत रखते हैं।
दोस्तों अब हम आपको बताने जा रहे है कि भारत में मैनपॉवर ग्रुप इंडिया एक ऐसी कम्पनी है जिसकी सालाना रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब आधे नियोक्ता अपनी कंपनियों में जरूरी पदों को भरने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। इसका कारण संबंधित पदों के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाना ही माना जा सकता है।
अगर नोकरियो के लिए, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), मार्केटिंग, जनसंपर्क तथा संचार जैसे क्षेत्रों में बात की जाए तो नियोक्ताओं को योग्य प्रतिभा तलाशने में सर्वाधिक परेशानी महसूस हो रही हैं। इनकी रिपोर्ट के अनुसार देश में अड़तालीस परसेंट नियोक्ताओं को खाली पद भरने में कठिनाई बरती जाती है। कंपनियों को अपने पदों के अनुसार काबिल व्यक्ति नहीं मिल रहे हैं। हालांकि यह प्रतिशत पिछले साल के हिसाब से उन्नीस प्रतिशत कम है लेकिन वैश्विक औसत चौंतीस प्रतिशत से अधिक है।
अगर हम वैश्विक स्तर पर बात करे तो प्रतिभाओं के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा जापान जैसे विकसित देशों के हिसाब से हमारे देश की स्थिति बहुत अच्छी है। सर्वे में प्रतिभा की कमी जापान में पहले स्थान पर बनी हुई है। वहां इक्यानवे परसेंट नियोक्तयों ने प्रतिभा में कमी की बात कही। यह लगातार दूसरा साल है। जब जापान इस तरह के मामले में प्रथम स्थान पर रहा ।
दोस्तों दूसरे स्थान पर इकहत्तर परसेंट के साथ ब्राजील और तीसरे नंबर पर बुल्गारिया है जहां इक्यावन परसेंट नियोक्ताओं को प्रतिभा की जरूरत है। चौथे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया (पचास प्रतिशत) रहा। दोस्तों हमारा देश न्यूजीलैंड के साथ छठे स्थान
पर
अपनी
जगह
बनाए
हुए
है।
जहां
अड़तालीस
प्रतिशत
नियोक्ताओं
को
कंपनी
के
लिए
अच्छे
qualified उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं।
प्यारे साथियो अगर इस रिपोर्ट के हिसाब से देखा जाए तो कहा जा सकता है कि भारत में नौकरियों की कमी नहीं है। बस उम्मीदवारों को इन पदों और नौकरियों के योग्य बनने के लिए जरूरी है । सिर्फ डिग्री प्राप्त कर सफल करियर नहीं बनाया जा सकता, बल्कि पद के अनुरूप स्वयं को योग्य भी बनाना बहुत जरूरी है।
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