देश के राष्ट्पति के अधिकार
दोस्तों, देश का मुखिया राष्ट्रपति ही होता है । इसलिए हम सभी को "देश के राष्ट्पति के अधिकार" के बारे में जानना बहुत जरुरी है। संविधान में
देश के इस सर्वोच्च पद को बहुत सी शक्तियां और अधिकार सौंपे गए हैं । जिनके आधार पर राष्ट्रपति संविधान के नियमानुसार कोई भी फैसला लेने का अधिकार रखता है | राष्ट्रपति को ही देश का प्रथम नागरिक और तीनों सेनाओं का अध्यक्ष (सुप्रीम कमांडर) माना जाता है | भारतीय संघ की कार्यपालिका का प्रधान राष्ट्रपति को ही माना जाता है |
राष्ट्रपति के द्वारा मंत्रिपरिषद का गठन किया जाता है क्योकि देश का शासन चलाने के लिए मंत्रिपरिषद बहुत जरुरी है। राष्ट्रपति के द्वारा ही मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष प्रधानमंत्री को बनाया जाता है। आमतौर पर लोकसभा में बहुमत वाले दल या गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री बनाया जाता है। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको राष्ट्रपति के
अधिकारों को जानने में मदद मिलेगी|
कार्यपालिका
सम्बन्धी
अधिकार
- अनु. 53 के अंतर्गत - संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है |
- अनु. 77 के अंतर्गत –राष्ट्रपति के नाम से भारत सरकार के समस्त कार्य किये जाते हैं |
- राष्ट्रपति के द्वारा ही देश के सभी उच्चाधिकारियों की नियुक्ति की जाती है जैसे – प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री की सलाह से अन्य मंत्री, उच्चत्तम व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के राज्यपाल, भारत के महान्यायवादी, नियंत्रक व महालेखा परीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य, वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्य व अन्य वैधानिक आयोगों के अध्यक्ष व सदस्यों आदि की नियुक्ति व विमुक्ति के अधिकार राष्ट्रपति को सौंपे गए है।
सैनिक
सम्बन्धी
अधिकार- राष्ट्रपति को ही देश के प्रतिरक्षा बलों का सर्वोच्च सेनापति माना जाता है | राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह से युद्ध घोषित करने व शांति बनाए रखने के अधिकार प्रदान किये गए है |
कूटनीतिक
सम्बन्धी
अधिकार-
अंतरराष्ट्रीय संधियाँ व समझौते राष्ट्रपति के नाम पर ही किये जाते हैं | अंतरराष्ट्रीय मंचों व मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने का राष्ट्रपति को ही अधिकार है | राष्ट्रपति विदेशों में भारतीय उच्चायुक्तों व राजदूतों की नियुक्ति करना तथा विदेशों के प्रतिनिधियों के नियुक्ति प्रमाण पत्र स्वीकार करना भी राष्ट्रपति को ही अधिकार है |
विधायी
सम्बन्धी
अधिकार- संसद के सत्र को आहूत और सत्रावसान करने का अधिकार राष्ट्रपति को सौंपा गया है | लोकसभा का विघटन भी राष्ट्रपति ही करता है | वह लोकसभा के हर एक साधारण निर्वाचन के बाद प्रथम सत्र के शुरू में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के प्रारम्भ में दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को सम्बोधित करता है जिसमें वह सरकार की सामान्य नीतियों और भावी कार्यक्रम का विवरण देता है |
- धन विधेयक को न मिलाकर अन्य विधेयकों की स्वीकृत राष्ट्रपति कर सकता है, अपनी स्वीकृति सुरक्षित रख सकता है या अपने सुझाव के साथ पुनर्विचारार्थ वापस करने के अधिकार राष्ट्रपति को दिए गए है |
- संसद द्वारा पुनः पारित विधेयक पर राष्ट्रपति अपनी आज्ञा देने के लिए बाध्य होता है |
- अनु. १०८ के अंतर्गत - किसी विधेयक पर (धन विधेयक के अलावा ) दोनों सदनों में सहमति न हो तो संयुक्त बैठक बुलाता है तथा इसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है |
- दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर राष्ट्रपति के दस्तख़त के बाद ही अधिनियम बनता है, लेकिन धन विधेयक पर अपनी स्वीकृति देने से इंकार नहीं कर सकता है | अन्य साधारण विधेयकों को एक बार पर दोबारा से विचार करने के लिए वापस करने का अधिकार होता है |
- राज्यसभा में बारह तथा लोकसभा में दो (एंग्लो-इण्डियन समुदाय) , कुल चौदह व्यक्तियों को मनोनित राष्ट्रपति के द्वारा ही किया जाता है |
अध्यादेश
जारी
करने
का
अधिकार- प्यारे साथियों यह एक तरह का संसदीय विधान है | यह तब ही जारी किया जा सकता है जब संसद का सत्र चालू न हो | राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करने के अधिकार का प्रयोग मंत्रिपरिषद की परामर्श पर करता है | किसी भी अध्यादेश द्वारा मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है | अध्यादेश कार्यपालिका को आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने की शक्ति देता है | राष्ट्रपति नियंत्रक व महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग वित्त आयोग व अन्य आयोगों आदि की रिपोर्ट संसद के सामने प्रस्तुत करता है |
वित्तीय
अधिकार-
राज्यों की सीमा बदलने तथा धन विधेयक में वर्णित विषय से सम्बंधित विधेयक को संसद में प्रस्तुत करने से पहले राष्ट्रपति की परमिशन की आवश्यकता होती है | राष्ट्रपति वार्षिक वित्तीय विवरण (केन्द्रीय बजट) को संसद के समक्ष रखने का आदेश देता है | अनुदान की कोई भी माँग राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना नहीं हो सकती है | राष्ट्रपति आकस्मिक निधि से, किसी आकस्मिक व्यय हेतु संसद की आज्ञा के पहले ही अग्रिम भुगतान की व्यवस्था करने का अधिकार रखता है |राष्ट्रपति को राज्य व केंद्र के मध्य राजस्व के बंटवारे हेतु प्रत्येक पांच वर्ष में
1 वित्त आयोग का गठन करने का अधिकार होता है |
न्यायिक अधिकार- राष्ट्रपति उच्चतम व उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करने के अधिकार रखता है |
क्षमादान की शक्ति (अनु.
72) के अंतर्गत किसी दोषी मनुष्य की सजा को माफ़ कर सकने ,
निलंबित तथा कम कर सकने तथा मृत्यु दंड को भी माफ़ कर सकने का अधिकार राष्ट्रपति को प्रदान किया गया है |
सेना न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड को माफ़ कर सकने का अधिकार भी राष्ट्रपति को होता है, लेकिन राज्यपाल सेना न्यायालय द्वारा दी गयी सजा व मृत्युदंड को क्षमा अथवा सजा कम करने का अधिकार राष्ट्रपति को नहीं होता है|
आपातकालीन अधिकार-
- अनु. 352 के अंतर्गत – राष्ट्रपति को युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में आपातकाल लागू करने की घोषणा करने का अधिकार प्राप्त है |
- अनु. 356 के अंतर्गत – राज्य में संवैधानिक तंत्र को सफलता प्राप्त न होने पर आपातकाल या राष्ट्रपति शासन लागू करने की घोषणा का अधिकार राष्ट्रपति को होता है |
- वित्तीय संकट अनु. 360 के अंतर्गत- राष्ट्रीय वित्तीय परेशानी के समय राष्ट्रपति संघ और राज्य सरकारों के अधिकारी, जिनमें सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भी शामिल होंगे, जिनके वेतनों में आवश्यक कमी करने का अधिकार राष्ट्रपति को है तथा इसके अतिरिक्त संसद द्वारा ऐसी आपातकाल की घोषणा का दो माह में अनुमोदन करना जरूरी होता है|
प्यारे साथियों उपरोक्त दी गई जानकारी ध्यान से पढ़े और जाने देश के राष्ट्पति के अधिकारो के बारे में आसानी से।
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